
आरा। सोमवार 1 जुलाई 2024 से देशभर में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून को लेकर कोइलवर थाने पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सदर एसडीपीओ-2 रंजीत कुमार सिंह के द्वारा स्थानीय नागरिकों को आमंत्रित कर तीनों नये आपराधिक कानून की प्रमुख विशेषताओं की जानकारी दी। सदर एसडीपीओ-2 रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि नए कानून में नागरिक घटनास्थल या उससे परे कहीं से भी FIR दर्ज करा सकते हैं।पीड़ित, FIR की एक नि:शुल्क प्रति प्राप्त करने के हकदार हैं। वही पुलिस द्वारा पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है। महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच की जाएगी। साथ ही 7 दिनों के अंदर चिकित्सक उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजेंगे। अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को खुद का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है। BNS की धारा 396 एवं 397 में पीड़ित को मुआवजे और मुफ्त इलाज का अधिकार दिया गया है। BNS की धारा 398 के अंतर्गत गवाह संरक्षण योजना का प्रावधान है। केस वापसी के पहले न्यायालयों को पीड़ित की बात सुनने का अधिकार दिया गया है।
वही कोर्ट में आवेदन करने पर पीड़ितों को ऑर्डर की नि:शुल्क कॉपी प्राप्त करने का अधिकार मिला है। कानूनी जांच, पूछताछ और मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का प्रावधान है। न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया है।क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी चरणों का डिजिटल रूपांतरण किया गया है, जिनमें ई – समन, ई- नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रस्तुत करना और ई- ट्रायल शामिल हैं। पीड़ित ई-बयान दे सकते हैं। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के लिए e-Appearance की शुरुआत की गई है। ‘दस्तावेजों’ की परिभाषा में सर्वर लॉग, स्थान संबंधी साक्ष्य और डिजिटल वॉयस संदेश को शामिल किया गया है। अब अदालतों में इलेक्टॉनिक साक्ष्य को फिजिकल एविडेंस के बराबर माना जाएगा। कानून के तहत सेकेंडरी एविडेंस का दायरा बढ़ा दिया गया है। इसमें मौखिक एवं लिखित स्वीकारोक्ति और दस्तावेज की जांच करने वाले कुशल व्यक्ति का साक्ष्य शामिल है। मौके पर सर्किल इंस्पेक्टर संजीव कुमार,थानाध्यक्ष नरोत्तमचंद्र, सुभाष मंडल,जितेंद्र तिवारी,रामजी दास,मनु समेत दर्जनों नागरिक उपस्थित थे।