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WJAI ने संवाद कार्यक्रम का दूसरा एपिसोड वर्चुअल माध्यम से किया आयोजित

सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी ओमप्रकाश यादव ने पत्रकारिता से समाज को क्या अपेक्षाएं हैं बताया

पटना। शनिवार की शाम वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WJAI) का संवाद कार्यक्रम का दूसरा एपिसोड वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया। कार्यक्रम को सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी ओमप्रकाश यादव ने पत्रकारिता से समाज को अपेक्षाएं विषय पर कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि अभी अमेरिकन प्रेस इंस्टीट्यूट ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया था जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म के बाद जर्नलिज्म से समाज की क्या अपेक्षाएं हैं। परिणाम कहता है कि 78 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पत्रकारों को निष्पक्ष रहना चाहिए। उसमें से 68 प्रतिशत ने कहा कि पत्रकार को तटस्थ रहना चाहिए। 61 प्रतिशत ने कहा कि प्रतिकारों के बीच विविध विचार जरूर होने चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य है कि आज के डिबेट में विविध विचार कई बार गलत परिस्थितियों में तब्दील हो जाता है। 54 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पत्रकार को समाज का प्रहरी होना चाहिए। लोकतंत्र के तीन स्तंभ होते हैं और पत्रकारों को इन तीनों स्तंभों के प्रहरी के रूप में काम करना चाहिए।
कहा भी गया है कि कोई भी लोकतंत्र तीन स्तंभों पर नहीं रह सकता है इसलिए चौथा स्तंभ के रूप में पत्रकारिता को रखा गया है।

 

समाज को पत्रकारिता से अपेक्षाएं

 

उन्होंने कहा हमें तीन शब्दों को आत्मसात करना चाहिए और वह शब्द हैं , नियत, तकनीक और ज्ञान। जब यह तीनों चीजें मिलते हैं तब एक पॉजिटिव चीजों का निर्माण होता है। समाज को अपेक्षाएं हैं कि पत्रकार के पास तकनीक की जानकारी हो। आपके पास अपडेटेड जानकारी होनी चाहिए ताकि आप नई जानकारियों से अपडेट होते रहें और हमेशा अपडेटेड रहें। समाज पत्रकार से अपेक्षा रखती है कि आप सामाजिक सरोकारों को जरूर ध्यान में रखें। उन्होंने कहा अमेरिका के एक इतिहासकार हैं जिन्होंने कहा है कि संवाद के चार पाप हैं जिसे हमेशा याद रखना चाहिए लेकिन वह पाप करना कभी नहीं चाहिए। पहला पाप है बिना तैयारी के कोई संवाद न करें। दूसरा पाप है असंबद्ध। आप कोई संवाद करने जा रहे हैं और आप सामने वाले व्यक्ति से कनेक्ट नहीं कर पाए तो गलत है। तीसरा है नापसंद चीजें कभी नहीं करनी चाहिए और चौथा पाप है अशुद्ध। ये चारों पाप एक पत्रकार को कभी नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के पत्रकारिता का रूप इतना विशाल हो गया है जितना कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण का हो गया था। जिस तरह भगवान कृष्ण ने कहा था कि आरंभ भी मैं हूं, भूत भी मैं हूं, वर्तमान भी मैं हूं और अंत भी मैं ही हूं, उसी प्रकार आज पत्रकारिता है।

 

लोकतंत्र और पत्रकारिता एक दूसरे के बिना है अधूरा

 

एक अमेरिकी पत्रकार ने कहा है कि लोकतंत्र और पत्रकारिता एक साथ जुड़वां की तरह जन्म लेते हैं। अगर किसी एक की मृत्यु होगी तो स्वतः दूसरे की मौत हो जाएगी। आपका स्वरूप इतना व्यापक है कि अक्सर लोग देख नहीं पाते हैं। आप पत्रकार अपनी व्यापकता का भगवान हनुमान की तरह अंदाजा नहीं लगा पाते हैं और जब अंदाजा होता है तो उसमें विकृति आ जाती है। आपको आपके पत्रकारिता में विकृति नहीं आने देनी चाहिए। आप पत्रकारिता करते हैं यह एक जिम्मेवारी है नौकरी नहीं। एक पत्रकार को कई सारे अधिक छोड़ने पड़ते हैं। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो आप एक सच्चे पत्रकार हैं। संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ लीना ने की जबकि संचालन राष्ट्रीय महासचिव डॉ अमित रंजन ने किया। संवाद कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मंजेश कुमार ने की। कार्यक्रम के दौरान वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रदेश कमिटी के पदाधिकारी और कई सदस्य वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

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