भोजपुर डीएम ने लोगो से की अपील भ्रामक खबरों पर ना दें ध्यान

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प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है.लॉकडाउन लगाने का फायदा ये हुआ कि काफी हद तक प्रदेश में कोरोना का संक्रमण कम हुआ है.कोरोना को लेकर भोजपुर जिला उस वक्त चर्चा में आ गई जब जिले के कुल्हड़िया गांव में 100 से ज्यादा मौत होने की खबर अखबार और कुछ न्यूज़ चैनलो ने चला दी.देखते ही देखते जिले के 12000 हजार के करीब आबादी वाले कुल्हड़िया गांव चर्चा में आ गया.

कोविड-19 को लेकर समाचार पत्रों और चैनलो के माध्यम से ऐसी सूचना फैली की गांव से लेकर जिले और राज्य भर में हड़कंप मच गया.चर्चा है कि पिछले कुछ महीनों में यहां 100 से ज्यादा मौते हो गई है. अप्रैल और मई महीने में ही 2 दर्जन से ज्यादा मौते हुई हैं.हालांकि ग्रामीण इसे सिरे से खारिज करते हैं.वे कहते हैं कि मौते तो हुई हैं लेकिन सभी मौते कोरोना से हुई है ये सरासर गलत है. जबतक जांच न हो इसकी पुष्टि कैसे कर सकते हैं कि ये मौत कोरोना से हुई है. पीएचसी कोइलवर के आंकड़े पर गौर करें तो यहाँ प्रतिदिन लगने वाले जांच शिविर में कुल्हड़िया का पहला संक्रमित 12 अप्रैल को मिला था.तब से लेकर आज तक डेढ़ दर्जन लोगों के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है.इनमें से अधिकांश अब ठीक होकर सामान्य दिनचर्या में शामिल हो चुके हैं.कुल्हड़िया गांव में अंतिम एक्टिव केस 55 वर्षीय गिरिजा देवी का था जो 11 मई को संक्रमित हुई थी.वह भी अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी हैं.हालांकि ग्रामीणों की माने तो इससे अधिक लोग संक्रमित हुए थे लेकिन जैसे ही उनमें कोविड-19 के लक्षण पाए गए खुद से ही घर पर आइसोलेट हो गए और दवा लेकर अब स्वस्थ हैं.गांव के लोगो ने ख़बरीआलोक से बात करते हुए कहा कि हां यह सच है कि पिछले कुछ महीनों में कुल्हड़िया गांव में मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है लेकिन कोरोना और कोरोना जैसे लक्षणों से मरने वालों की संख्या दर्जन भर भी नही है.मरने वालों में अधिकतर लोग या तो वृद्ध थे या फिर किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित थे.अनिल सिंह कहते हैं कि गांव के कई लोग जो गांव से बाहर रहते है उनमें से भी कइयों की जान कोविड-19 की वजह से चली गई.कुल्हड़िया स्टेट के 42 वर्षीय विवेक सिंह और इसी गांव के 71 वर्षीय बिंदेश्वरी सिंह की कोरोना से मौत की पुष्टि गांव वालों और उनके परिजनों ने की है.इनकी मृत्यु पटना के विभिन्न निजी अस्पतालों में हुई है,जहां इनके कोरोना से मौत की पुष्टि की गई.मृत्यु के बाद उनके शव का दाह संस्कार गांव में किया गया।उन मौतों का आंकड़ा भी कुल्हड़िया गांव में जोड़ कर देखा जा रहा है.गांव के लोगो की माने तो गांव में बड़ी संख्या में हुई मौत और दर्जन भर लोग के कोरोना पॉजिटिव होने और मरने के बाद भी गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कोई जागरूकता अभियान प्रशासन की ओर से नही चलाया गया.गांव में अबतक कोविड-19 जांच और टीकाकरण का कैम्प ढंग से नही लगाया गया है.वही कुल्हड़िया मुखिया सुरेंद्र कुमार कहते हैं कि 12000 आबादी वाले इस पंचायत में अधिसंख्य आबादी को सर्दी, खांसी, बुखार जैसी समस्या है.बीते 6 माह की देखें तो 100 से अधिक मौते हुई हैं जिसमे सिर्फ अप्रैल मई में ही ढाई दर्जन से ज्यादा मौत हुई हैं.सरकारी व्यवस्था के लचर व्यवस्था होने की वजह से लोग जांच और टीकाकरण केंद्र तक नही पहुच पाते हैं.प्रशासनिक स्तर पर गांव में क्या किया जा रहा है इसकी जानकारी भी हमें देना मुनासिब नही समझा जाता.कुल्हड़िया गांव में पिछले कुछ महीनों में हुई ताबड़तोड़ मौत और इसकी चर्चा आम होने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया जिसके बाद बीडीओ वीरबहादुर पाठक, सीओ अनुज कुमार और पीएचसी प्रभारी नवीन कुमार दलबल के साथ गांव में पहुचे और जायजा लिया.जिसके बाद गांव में जांच शिविर का भी आयोजन किया गया.इसके साथ ही सर्वे कर गांव में कोरोना से हुई मौत और अन्य कारणों से हुई मौत एक आंकड़ा जुटाने का काम शुरू किया गया.वही भोजपुर जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा ने कहा कि कुल्हड़िया की जो खबरें चल रही है वो बिल्कुल गलत खबर है.कुल्हड़िया पंचायत में सिर्फ 4 मौतें कोरोना से हुई है उन्होंने लोगो से अपील किया कि भ्रामक खबरों से बचें और कही कोई अफवाह है या जानकारी है तो प्रशासन को बताएं.

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